
मुनि रामसिंह आदिकाल के जैन कवि थे, जिनकी प्रमुख रचना ‘पाहुड़-दोहा’ विशुद्ध रहस्यवाद और आत्म-ज्ञान पर केंद्रित है।
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कविता
मुनि रामसिंह की सम्पूर्ण रचनाएँ
मुनि रामसिंह का जीवन परिचय
समय और स्थान: इनका आविर्भाव लगभग 1000 ई. (सं. 1057 वि.) के आसपास राजस्थान में हुआ माना जाता है।
पहचान: वे एक जैन मुनि थे और सुप्रसिद्ध प्राकृत वैयाकरण हेमचंद्राचार्य से पहले के माने जाते हैं।
स्वभाव: वे स्वतंत्र प्रकृति के एक ऊँचे रहस्यवेत्ता संत थे, जिनका ध्यान आत्म-शुद्धि और आंतरिक ज्ञान पर केंद्रित था।
रचनात्मक विशेषताएँ
उनकी एकमात्र उपलब्ध रचना ‘पाहुड़-दोहा’ है, जिसके आधार पर उनकी प्रमुख रचनात्मक विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
रहस्यवाद की प्रधानता:
मुनि रामसिंह विशुद्ध रहस्यवादी कवि हैं। उन्होंने भारतीय अध्यात्म में भावात्मक अभिव्यंजना को अपनाया है।
उनकी कविता आत्मा और परमात्मा के मिलन की आंतरिक अनुभूति पर केंद्रित है।
आत्म-ज्ञान पर बल (जैन दर्शन):
उन्होंने मूर्ति पूजा (बाह्य आडंबरों) का खंडन किया है।
उनका मूल संदेश है कि आत्म-ज्ञान से ही मिथ्या दृष्टि दूर होती है और परम पद की प्राप्ति होती है।
भावुकता और उपदेश:
उनकी रचना में उपदेश और धर्म के साथ जीवन के मर्म का अद्भुत समन्वय मिलता है।
वे सहज ढंग से वैराग्य और संयम की शिक्षा देते हैं।
शैली और भाषा:
उनकी कृति दोहा छंद में है, जो अपभ्रंश और प्रारंभिक हिंदी की काव्य-शैली थी।
काव्य में योगपरक शब्दावली का प्रयोग मिलता है, जो नाथों और सिद्धों के साहित्य से भी मेल खाती है।
‘पाहुड़’ शब्द का अर्थ ‘उपहार’ होता है, इसलिए उनकी रचना दोहों का एक आध्यात्मिक उपहार है।
मुनि रामसिंह की कविताएं