रचनाकार

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मुनि रामसिंह

मुनि रामसिंह आदिकाल के जैन कवि थे, जिनकी प्रमुख रचना ‘पाहुड़-दोहा’ विशुद्ध रहस्यवाद और आत्म-ज्ञान पर केंद्रित है।

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girijalumar mathur

गिरिजाकुमार माथुर

गिरिजा कुमार माथुर हिंदी साहित्य के ‘तार सप्तक’ के महत्वपूर्ण कवि थे, जिनकी कविताओं में प्रेम, सौंदर्य, और प्रकृति का सुंदर चित्रण मिलता है। उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘मंजीर’, ‘नाश और निर्माण’, और ‘धूप के धान’ शामिल हैं, जो उनकी रचनात्मकता और साहित्यिक प्रतिभा को दर्शाती हैं।

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gajanan madhav

गजानन माधव मुक्तिबोध

गजानन माधव मुक्तिबोध हिंदी साहित्य के एक असाधारण कवि और विचारक थे, जिनकी कविताएँ अपने गहरे दार्शनिक विचारों, आत्म-संघर्षों, और राजनीतिक चेतना के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने अपनी जटिल और फंतासी से भरी रचनाओं के माध्यम से हिंदी कविता को एक नई बौद्धिक गहराई प्रदान की।

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मंगलेश डबराल

मंगलेश डबराल समकालीन हिंदी साहित्य के एक महत्वपूर्ण कवि, लेखक और पत्रकार थे, जिनकी रचनाओं में पूंजीवाद और साम्राज्यवाद के प्रतिरोध का गहरा स्वर मिलता है। उन्हें उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित कई सम्मानों से नवाजा गया था।

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kuwar narayan

कुँवर नारायण

कुंवर नारायण हिंदी साहित्य के एक प्रमुख कवि थे, जिनकी कविता में आधुनिकता, चिंतन और संवेदनशीलता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। उन्हें भारतीय साहित्य के सर्वोच्च सम्मान, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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tulasidaas

तुलसीदास

तुलसीदास ने भक्ति काल में राम भक्ति की धारा को घर-घर तक पहुँचाया, जिससे भारतीय समाज में भक्ति और नैतिक मूल्यों का गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने राम को एक आदर्श मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में प्रस्तुत किया, जो जनमानस के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया।

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