
आदिकाल के प्रमुख जैन कवि धनपाल ने अपभ्रंश काव्य ‘भविसयत्त कहा’ की रचना की है।
समस्त
परिचय
कविता
धनपाल की सम्पूर्ण रचनाएँ
धनपाल का जीवन परिचय
समय: इनका समय विद्वानों द्वारा मुख्य रूप से 10वीं शताब्दी अनुमानित किया गया है।
रचना: इनकी सबसे प्रसिद्ध कृति ‘भविसयत्तकहा’ है, जो अपभ्रंश भाषा का एक महत्वपूर्ण काव्य है और 22 संधियों में विभक्त है।
संपादन: डॉ. याकोवी ने ‘भविसयत्तकहा’ का संपादन किया था।
अन्य तथ्य:
धनपाल को अपभ्रंश के श्रेष्ठ कवियों में गिना जाता है।
वे धक्कड़ वंशी दिगंबर जैन थे।
इनकी भाषा बोलचाल की अपभ्रंश के अधिक निकट मानी जाती है।
इन्होंने अपने माता-पिता का नाम धनश्री और मातेश्वर बताया है।
इनकी काव्य-रचना में पद्धड़िया छंद का बहुतायत से प्रयोग हुआ है, जिसे चौपाई-दोहा-रूप काव्य का पूर्वरूप माना जाता है।
इन्हें मुंज ने ‘नरस्वती’ की उपाधि दी थी
धनपाल की कविताएं