विषय-हिन्दी
खण्ड-एक:
हिन्दी साहित्य का इतिहास
साहित्य का इतिहास दर्शन, हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा और विकास, हिन्दी साहित्य के प्रमुख इतिहास-ग्रन्थ और उनकी विशेषताएँ, हिन्दी साहित्य का इतिहास काल-विभाजन एवं नामकरण।
आदिकाल (वीरगाथाकाल) आदिकालीन साहित्य की सामाजिक- सांस्कृतिक एवं धार्मिक पृष्ठभूमि, आदिकाल के विविध नामकरण, आदिकाल की प्रवृत्तियाँ विशेषताएँ, आदिकालीन हिन्दी का धार्मिक साहित्य सिद्ध साहित्य, नाथ साहित्य, जैन साहित्य, लौकिक साहित्य, रासोकाव्य, आदिकाल के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ।
भक्तिकाल (पूर्व मध्यकाल) भक्ति आन्दोलन की पृष्ठभूमि, भक्ति- आन्दोलन के उदय के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक कारण, भक्तिकाल का प्रमुख सम्प्रदाय और उनका वैचारिक आधार, भक्तिकाल की सामान्य प्रवृत्तियाँ / विशेषताएँ, भक्तिकाल की विविध धाराएँ एवं उनकी प्रवृत्तियों- निर्गुणधारा (ज्ञानाश्रयीशाखा एवं प्रेमाश्रयीशाखा), सगुणधारा (कृष्ण भक्तिशाखा एवं रामभक्तिशाखा), भक्तिकाल के प्रमुख कदि और उनकी रचनाएँ।
रीतिकाल (उत्तर मध्यकाल) रीतिकाल की सामाजिक सांस्कृक्तिक एवं राजनीतिक पृष्ठभूमि, रीतिकाल के विविध नामकरण, रीतिकाल की अन्तर्धाराएँ- रीतिबद्धधारा, रीतिसिद्धधारा, रीतिमुक्तधारा, रीतिकाव्य की प्रवृत्तियाँ, रीतिकालीन कवियों का आचार्यत्व, मौलिकता एवं महत्त्व, रीतिकाल प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ।
आधुनिककाल:
(अ) हिन्दी का पद्य साहित्य आधुनिककाल की सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक एवं राजनीतिक पृष्ठभूमि, आधुनिककाल के विविध सोपान- भारतेन्दुयुग, द्विवेदीयुग, छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता, समकालीन कविता।
भारतेन्दुयुग भारतेन्दु और हिन्दी नवजागरण, भारतेन्दुयुग की प्रवृत्तियाँ, भारतेन्दुयुग के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ।
द्विवेदीयुग नामकरण, महावीरप्रसाद द्विवेदी और उनका युग, हिन्दी नवजागरण और सरस्वती, द्विवेदीयुगीन काव्य की प्रवृत्तियाँ, द्विवेदीयुग के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ, हिन्दी की राष्ट्रीय काव्यधारा और उसके प्रमुख कपि और काव्य।
छायावाद छायावाद की सामाजिक सांस्कृतिक तथा दार्शनिक पृष्ठभूमि, छायावाद का आरम्भ , छायावाद के संबंध में विभिन्न मत एवं नामकरण, परिवेश, छायावाद की प्रवृत्तियाँ / विशेषताएँ, छायावाद के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ।
प्रगतिवाद प्रगतिवाद की अवधारणा, प्रगतिवादी काव्य की प्रवृत्तियाँ / विशेषताएँ, प्रगतिवाद के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ।
हालावाद हरिवंराय बच्चन एवं हालावाद।
प्रयोगवाद और नयीकविता प्रवृत्तियों, प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ।
प्रपद्यवाद (नकेनवाद)
समकालीन कविता समकालीन कविता की प्रवृत्तियाँ, समकालीन कविता के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ।
(ब) हिन्दी का गद्य साहित्य हिन्दी गद्य का उद्भव और विकास- भारतेन्दु पूर्व हिन्दी गद्य से लेकर अद्यावधि तक, हिन्दी, गद्य की विधाएँ उपन्यास, कहानी, निबन्ध, नाटक, एकांकी और आलोचना साहित्य का उद्भव और विकास, हिन्दी की अन्य / नव्यतर गद्य विधाएँ- रेखाचित्र, संस्मरण, जीवनी (परकथा), आत्मकथा, रिपोर्ताज, यात्रासाहित्य (यात्रावृत्तांत), पत्रसाहित्य, गद्यगीत, साक्षात्कार (इण्टरव्यू), डायरी, व्यंग्य इत्यादि का उद्भव और विकास, हिन्दी, गद्य की विविध विधाओं के प्रमुख रचनाकार और उनकी रचनाएँ।
हिन्दी का प्रवासी साहित्य- अवधारणा एवं प्रमुख साहित्यकार तथा उनकी रचनाएँ।
अस्मितामूलक विमर्श अस्मिता की अवधारणा और सिद्धान्त, दलित-विमर्श, स्त्री-विमर्श एवं समकालीन स्त्री लेखन, आदिवासी-विमर्श (आदिवासी- साहित्य), किन्रर (थर्ड जेण्डर)-विमर्श / साहित्य।
(स) हिन्दी पत्रकारिता पत्रकारिता का अर्थ एवं उद्देश्य, पत्रकारिता की महत्ता, पत्रकारिता के विविध रूप, हिन्दी, पत्रकारिता का उद्भव और विकास- भारतेन्दुयुगीन पत्रकारिता, द्विवेदीयुगीन पत्रकारिता, छायावादगुगीन पत्रकारिता, समकालीन पत्रकारिता, हिन्दी की साहित्यिक पत्र पत्रिकाएँ, हिन्दी, पत्रकारिताः दशा, दिशा, संभावना।
प्रिन्ट मीडिया समाचार एवं सम्पादकीय, रिपोर्ट, आलेख, फीचर, लेखन, साक्षात्कार।
श्रव्य मीडिया रेडियो, दृश्य एवं श्रव्य मीडिया दूरदर्शन, विज्ञापन, लेखन, संगोष्ठी संचालन।
हिन्दी का लोकसाहित्य लोकसाहित्य का सामान्य परिचय परिभाषा, क्षेत्र, महत्व एवं वर्गीकरण, लोकसाहित्य में लोकसंस्कृति का चित्रण, लोकसाहित्य की विविध विधाएँ लोकगीत, लोककथा, लोकनाट्य, लोकनृत्य, लोकसंगीत, लोक का प्रकीर्ण साहित्य- लोकोक्तियां, मुहावरे, पहेलियाँ, लोकसाहित्यः संरक्षण के प्रयास।
खण्ड-दो :
काव्यशास्त्र
(अ) भारतीय काव्यशास्त्र काव्य लक्षण, काव्य हेतु, काव्य प्रयोजन, काव्य भेद, भरतमुनि का रससूत्र और उसके व्याख्याकार, प्रमुख संम्प्रदाय और सिद्धान्त-रस, अलंकार रीति, वक्रोक्ति, ध्वनि और औचित्य, रसनिष्पत्ति, साधारणीकरण, काव्य गुण, काव्य दोष, शब्द-शक्तियों, प्रमुख काव्य शास्त्रीय आचार्य एवं उनके ग्रन्थ।
रस छंद तथा अलकार लक्षण एवं उदाहरण
छन्द: दोहा, सोरठा, चौपाई, छप्पय, रोला, बरवै, हरिगीतिका, इन्द्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, वंशस्थ, वसंत्ततिलका, कवित्, सवैया, कुण्डलिया।
अलंकार शब्दालंकार अनुप्रास, यमक, श्लेष, वक्रोक्ति, अर्थालंकार-उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति, अनन्यय, अन्योक्ति, समासोक्ति, प्रत्तीप, व्यतिरेक, सन्देह, भ्रांतिमान, विभावना, परिसंख्या मीलित, उन्मीलित, असंगति, दृष्टांत अपहनुति, अर्थान्तरन्यास, काव्यलिंग।
(ब) पाश्चात्य काव्यशास्त्रः प्लेटी का काव्यसिद्धान्त, अरस्तू का काव्यसिद्धान्त- अनुकरण सिद्धान्त, त्रासदी की अवधारणा, विरेचन सिद्धान्त लॉजाइनस का उदात्त सिद्धान्त, टी०एस० इलियट निर्वैयक्तिकता का सिद्धान्त, आई०ए० रिचर्ड्स मूल्य सिद्धान्त, सम्प्रेषण का सिद्धान्तः क्रोचे का अभिव्यंजनावाद, वर्ड्सवर्थ का काव्यभाषा सिद्धान्त, कॉलरिजः कल्पना और फैन्टेसी।
(स) हिन्दी एवं पाश्चात्य आलोचना के पारिभाषिक शब्द और कतिपय अवधारणाएँ काव्यभाषा, बिम्ब, प्रतीक, मिथक, कल्पना फैन्टेसी, कविसमय, काव्यरूढ़ि।
उत्तर आधुनिकतावाद, मार्क्सवाद, मनोविश्लेषणवाद, अस्तित्ववाद, यथार्थवाद, आदर्शवाद, आधुनिकतावाद, संरचनावाद, शास्त्रीयतावाद एवं स्वच्छन्दतावाद।
हिन्दी आलोचना के प्रकार सैद्धान्तिक आलोचना, स्वच्छन्दतावादी आलोचना, मनोविश्लेषणवादी आलोचना, मार्क्सवादी आलोचना। भाषा वैज्ञानिक एवं शैली वैज्ञानिक आलोचना।
हिन्दी के प्रमुख आलोचक एवं उनकी रचनाएँ– हिन्दी के प्रमुख आलोचक एवं उनकी प्रमुख आलोचनात्मक स्थापनाएँ-आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, डॉ० नगेन्द्र, आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी, डॉ० रामविलास शर्मा, डॉ० नामवर सिंह, बाबू श्यामसुन्दर दास ।
खण्ड – तीन
हिन्दी भाषा और उसका विकास (भाषाविज्ञान एवं हिन्दी भाषा)
हिन्दी भाषा की उत्पत्ति और विकास- हिन्दी भाषा की उत्पत्ति, हिन्दी का नामकरण।
हिन्दी भाषा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि– प्राचीन भारतीय आर्यभाषाएँ (वैदिक, लौकिक संस्कृत), मध्यकालीन भारतीय आर्यभाषाएँ (पालि, प्राकृत-शौरसेनी, अर्धमागधी, मागधी- अपभ्रंश), अपभ्रंश-अवहट्ट और पुरानी हिन्दी का सम्बन्ध, आधुनिक आर्यभाषाएँ, और उनका वर्गीकरण।
हिन्दी का भौगोलिक विस्तार– हिन्दी क्षेत्र।
हिन्दी की उपभाषाएँ और बोलियाँ- हिन्दी की उपभाषाएँ : परिचय। वर्गीकरण और क्षेत्र- पश्चिमी हिन्दी, पूर्वी हिन्दी, राजस्थानी हिन्दी, पहाड़ी हिन्दी, बिहारी हिन्दी। हिन्दी की बोलियाँ, खड़ी बोली, ब्रज और अवधी की अकादमिक विशेषताएँ। हिन्दी की केन्द्रीय बोलियों का विकास, काव्यभाषा के रूप में खड़ी बोली तथा अन्य उपभाषा और बोलियाँ, साहित्यिक हिन्दी के रूप में खड़ी बोली का उदय और विकास, उत्तर प्रदेश की बोलियाँ।
हिन्दी भाषा, प्रयोग के विविध रूप- बोली, मानक भाषा, राजभाषा, राष्ट्रभाषा, सम्पर्कभाषा, संचारभाषा।
हिन्दी की संवैधानिक स्थिति- राजभाषा आयोग, राजभाषा अधिनियम, प्रयोजनमूलक हिन्दी, कार्यालयी हिन्दी, मानक हिन्दी आदि।
राजभाषा के रूप में हिन्दी की स्थिति- राजभाषा, तात्पर्य एवं महत्त्व, राष्ट्रभाषा, हिन्दी की संवैधानिक समस्या, दशा, दिशा, समाधान। हिन्दी विस्तारीकरण के वैयक्तिक एवं संस्थागत प्रयास
स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान राष्ट्रभाषा का रूप में हिन्दी का विकास।
हिन्दी-प्रचार और विस्तार- वैयक्तिक एवं संस्थागत प्रयास की पहचान।
हिन्दी से संबंधित सरकारी संस्थाएँ एवं विभाग- केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, हिन्दी संस्थान लखनऊ, हिन्दुस्तानी एकेडमी, नागरी प्रचारिणी सभा, हिन्दी साहित्य सम्मेलन और विभिन्न मंत्रालयों की हिन्दी सलाहकार समितियाँ आदि।
सम्मान पुरस्कार।
हिन्दी की पत्र-पत्रिकाएँ- लघु पत्रिकाओं का योगदान।
हिन्दी के जनसंचार माध्यम
हिन्दी पोर्टल एवं वेबपेज।
हिन्दी का भाषिक स्वरूप-
हिन्दी ध्वनियाँ : हिन्दी वर्णमाला/वर्णविचार, हिन्दी ध्वनियों के वर्गीकरण का आधार।
हिन्दी-व्याकरण- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रियाएँ, क्रियाविशेषण, लिंग, वचन, कारक, अध्याय, कारक-व्यवस्था।
शब्द रचना- हिन्दी शब्दसम्पदा और उसके मूल स्रोत- तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी शब्द।
रचना के अनुसार शब्दों का वर्गीकरण– रूढ़, यौगिक और योगरूढ़ शब्द; उपसर्ग और प्रत्यय, संधि-समास, शब्द-भेद, पर्यायवाची शब्द, विलोम शब्द, एकार्थी शब्द, अनेकार्थी शब्द, समरूपी भिन्नार्थक शब्द (उच्चारण के लिए), वाक्यांश के लिए एक शब्द, पारिभाषिक शब्द, मुहावरा (शुद्ध रूप)।
हिन्दी वाक्य संरचना : अर्थ एवं रचना की दृष्टि से वाक्य का वर्गीकरण, वर्तनी तथा वाक्यगत अशुद्धियाँ और उनका संशोधन।
मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ। कम्प्युटर और हिन्दी
हिन्दी विरामचिन्ह।
पत्रलेखन- अर्द्धशासकीय एवं शासकीय पत्र, कार्यालय-आदेश, अधिसूचना, परिपत्र, अनुस्मारक, कार्यालय-ज्ञाप।
कार्यालयी हिन्दी की पारिभाषिक शब्दावली।
पारिभाषिक शब्द- तात्पर्य एवं स्वरूप, पारिभाषिक शब्दावली-निर्माण के सिद्धान्त, पारिभाषिक शब्दावली निर्माण की प्रक्रिया।
अपठित गद्यांश और प्रश्नोत्तर- अपठित गद्यांश से संबंधित प्रश्न, रेखांकित अंशों की व्याख्या, दिये गये अपठित गद्यांश का शीर्षक, अपठित गद्यांश का सारांश।
अवबोधन (Comprehension)।
देवनागरी लिपि- नामकरण, उद्भव और विकास, विशेषताएँ, वैज्ञानिकता एवं मानकीकरण, दोष, समस्या (सीमाएँ), सुधार के उपाय।
हिन्दी अनुवाद : अनुवाद की अवधारणा- परिभाषा, स्वरूप, महत्त्व, समस्याएँ
अनुवादक के गुण, दायित्व एवं उससे अपेक्षाएँ, अनुवाद के प्रकार- साहित्यिक अनुवाद, प्रशासनिक अनुवाद, विधि अनुवाद, बैंकिंग अनुवाद, ज्ञान-विज्ञान एवं तकनीकी अनुवाद, अनुवाद: सांस्कृतिक सेतु ।।